महापुरुषों की जीवनी को याद कर उनसे प्रेरणा लें: आचार्य श्री श्रावक को अनेक समस्याएं हैं, कोई चिंता नहीं। एक साथ छक्का न सही, एक-एक रन तो वह बना ही सकता है। उसके बाद भी वह आउट हो सकता है। जीवन का भी एवं प्रत्येक नियम का भी ऐसा ही खेल चलता है। इसलिए व्यक्ति को बहुत संभलकर चलना पड़ता है। वाहन कोई भी हो वह बिना पेट्रोल के नहीं चलता। संकल्प पूर्वक अष्टमी, चतुर्दशी आदि पर्वों पर जो भी व्यक्ति उपवास, एकाशन आदि करता है तो उसका उसे लाभ जरूर मिलता है, इसके विपरीत यदि विकल्पों सहित कोई नियम व्यक्ति लेता है तो उसका फल उसको उतना नहीं मिल पाता। इसलिए आचार्यों ने द्रव्य, क्षेत्र, कालभाव के अनुसार ही त्याग, दान आदि करने को कहा है, फिर भी दूसरों को देखकर भाव तो होते ही हैं। यह बात मंगलधाम परिसर में प्रवचन देते हुए आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि घर का मालिक भले ही कोई भी हो परंतु अधिकांश समय यह देखने में आया है कि चलती गृहमंत्री की ही है। गृहमंत्री के पूछे बिना कोई भी कार्य करने से कलह बढ़ सकती है। विद्या अध्ययन करने वाले प्रत्येक छात्र को परीक्षा तो देनी ही पड़ती है। परीक्षा में पास या फेल होना उसके अथक श्रम के परिणाम स्वरूप ही मिलता है। इसी प्रकार गृहस्थ जीवन में भी कई प्रकार के विकल्प होते हैं। कर्म निर्जरा भी उसी अनुरूप होती है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति त्याग, दान आदि तो कर देता है लेकिन उसका फल उसको जैसा उसका कर्मोदय होगा वैसा ही मिलेगा। सच्चे देव, शास्त्र, गुरू पर श्रद्धान रखो। यदि भूख नहीं तो मेवा, मिष्ठान किस काम का। व्यक्ति को हमेशा कर्म की निर्जरा के लिए सतत प्रयास करते रहना चाहिए। जो भी उदय में आए उसे समतापूर्वक निर्वाहन करना चाहिए। महापुरुषों की जीवनी को याद कर उनसे प्रेरणा लें। जब तक बीमारियों को जानेंगे नहीं तब तक उसका निदान संभव नहीं। आचार्यश्री ने कहा कि मेरे पास जो भी आता है उसमें से अधिकांश व्यक्ति रोते हुए ही आते हैं। बहुत ही विरले व्यक्ति होते हैं जो हंसते हुए आते हैं। हर पल वह रोता ही रहता है। बहुत कम व्यक्ति होते हैं जो संतोषी होते हैं। संतोषी बहुत बड़ा गुण है। यहां पर राजा हो या रंक सबकी अपनी-अपनी परेशानियां हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति पर कितनी भी प्रतिकूल परिस्थितियां क्यों न आ जाएं कर्म निर्जरा के लिए उसको हंसते-हंसते सहन कर लेना चाहिए। प्रतिकूलता में जो अनुकूलता का अनुभव करे उसे ही ’आनंदधाम’ मिलता है। आचार्यश्री की आहारचर्या सुशील, सुनील, श्रीपाल, सुबोध, कालू मोदी परिवार के यहां संपन्न हुई।
from नवीनतम गतिविधि http://bit.ly/2Fs1tLO
Post Top Ad
Jan 12, 2019
महापुरुषों की जीवनी को याद कर उनसे प्रेरणा लें : आचार्य श्री
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Post Top Ad
आपल्या परिसरातील जैन धर्माविषयीची माहिती आपण आम्हास पाठवू शकताआपल्या परिसरातील जैन धर्माविषयीची माहिती आपण आम्हास पाठवू शकता
उदाहरणार्थ ::-- जैन कार्यक्रम,उत्सव,पूजन,फोटो, व्हिडीओ,आरती,पंचकल्याणक, मंदिरविषयीचा इतिहास,बातम्या,सुचना,आम्हाला पाठवून देश-विदेशातील व आपल्या परिसरातील जैन समाजाला आपण कळवू शकतो namokar9.bhogspot.com व्दारा
Whatsapp – 8888132944
No comments:
Post a Comment