JAY JINENDRA

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Jan 14, 2019

श्री अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन प्राचीन पवली मंदिर (अतिशय क्षेत्र) शिरपूर (जैन) का इतिहास



श्री अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन प्राचीन पवली मंदिर (अतिशय क्षेत्र) शिरपूर (जैन) का इतिहास 



क्षेत्र की विशेषतायें 


  • आज भी यह अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ भगवान की प्राचीन-मनोज्ञ-अतिशय युक्त मुर्ति अंतरिक्ष मे अधर स्थिती मे विरामान है। यह आश्चर्य देखने देशभर के विविध धर्मावलंबी आते है। 
  • श्री अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ पवली दिगंबर जैन मंदिर के वुँâअ‍े(विहीर)के जलसे आज भी अनेक प्रकारके चर्मरोग ठीक होते है।  अनेक भक्तोंका यह वास्तविक अनुभव है। इस वुँâअ‍े(विहीर)का जल दूरदूर से आये यात्री गण दवाई रुप ग्रहण करते है और आरोग्य लाभ पाते है।  
  • इसी जलाशयसे भ.श्री अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ की मुर्ति प्राप्त हुई है ।
  •  श्री अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ पवली दिगंबर जैन मंदिर के प्रांगणमें हुवे उत्खन्न मे प्राप्त इटे पानी पर तैरती है।  
  • यात्री गण अपने अपने गांवसे श्री क्षेत्र शिरपूर तक पदयात्रा करके भगवान पाश्र्वनाथ के दर्शन कर अपने कर्मोसे मुक्ती पाते है। 
  • यह मंदिर दिगंबरत्व का जीवंत उदाहरण है। 

pavali mandir temple

श्री अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन प्राचीन पवली मंदिर (अतिशय क्षेत्र) शिरपूर (जैन) का इतिहास 

राजा श्रीपाल (ईल राजा) एक दिन जंगल मे प्रवास करते हुए इस जगह पर पहुचा राजा को पाणी की आवश्यकता थी राजा ने सैनिक को पांनी लाने का आदेश दिया सैनिक को इस परिसर मे नदी, झरणे कही नजर नही आये।  सैनिक को गाय के पैर के निशान मे थोडा पानी नजर आया। सैनिक पानी निकालना प्रारंभ किया पात्र भर गया परंतु पानी कम नही हुआ.सैनिक को इस बात का आश्चर्य हुआ.सैनिक ने राजा को पानी दिया राजा ने हाथ पैर धोकर पानी ग्रहण  किया। और राजा श्रीपाल अपने राज महल मे वापीस पहुचा। राणी ने पुछा प्रवास करते समय कही औषधी उपचार किया क्या जिससे आपका कुष्ठ रोग नष्ट हो गया।
pavali mandir temple

राजा श्रीपाल ने बताया की औषधी उपचार नही किया सैनिक ने जंगल से जल लाया था। उससे ठिक हुआ हो तो कुछ ग्यात नही रात्री मे विश्राम करते समय राजा को स्वप्न मे आया की जहा से सैनिक ने जंगल मे जल लाया था ।  उस जगह पर एक प्रतिमा है। आप स्वयं जाकर खोद काम करना और प्रतिमा जहा तक ले जाना है। वहा तक पिछे मुड कर नही देखना।  उस जगह पर राजा और सैनिक ने आकर के खोद काम प्रारंभ किया। उन्हे भगवान पाश्र्वनाथ की प्रतिमा प्राप्त हुई। राजा ने उस प्रतिमा को रथ मे विराजमान किया वह प्रतिमा रथ से अंतरिक्ष मे ही रही। रथ को प्रतिमा स्पर्श नही हुई। राजा को इस बात का आश्चर्य हुआ। राजा को प्रतिमा राजमहल लेजाना तो कैसे जायगी राजा ने रथ आगे बढाया उसे संगीत (वाद्य) की आवजे सुनाई दी.। उसे आश्चर्य हुआ की इस जंगल मे कौन वाद्य बजा रहा है।सामने कोई नजर नही आया । दाए बाए देखा तो कोई नजर नही आया तो पिछे मुडकर देखा तो कोई नजर नही आया।कुछ देर चलने के बाद राजा ने पिछे देखा तो प्रतिमा अंतरिक्ष मे ही रह गई।  और रथ आगे निकल गया।  रथ की उचाई इतनी अधिक थी की प्रतिमा के निचेसे घुडसवार निकल जाता। फिर राजाने प्रतिमा को आगे ले जाने का प्रयास किया परंतु प्रतिमा इस जगह से नही हिली। फिर राजाने (ईल) ने इस मंदिर का निर्माण किया।  राजा ईल के समयतक प्रतिमा इसी मंदिर मे विराजमान थी। कुछ समय बाद प्रतिमा की सुरक्षा के लिए श्रावको ने बस्ती मंदिर मे स्थानतरण किया।  वहा पर भी प्रतिमा चार अंगुल अंतरिक्ष मे थी।  आज भी इस प्रतिमा के निचे से कपडा निकल जाता है।
pavali mandir temple (photo panorama)


  • श्री अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ पवली दिगंबर जैन मंदिर के वुँâअ‍े के जलसे आज भी अनेक प्रकारके चर्मरोग ठीक होते है।  अनेक भक्तोंका यह वास्तविक अनुभव है। इस वुँâअ‍े का जल दूरदूर से आये यात्री गण दवाई रुप ग्रहण करते है और आरोग्य लाभ पाते है। 
  •  श्री अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन प्राचीन पवली मंदिर (अतिशय क्षेत्र) शिरपूर (जैन) ता.मालेगांव जिल्हा वाशिम,महाराष्ट्र
  • संपर्क :- 07254-274309,27400
  • कसे पोहचणार :- अकोला रेल्वे स्टेशनपासून 70 किमी :- वाशिम रेल्वे स्टेशनपासून 30 किमी आहे अकोल्यावरून एसटी बस आहे

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