नमोस्तु आचार्य श्री...😊 शीर्षक - 1. स्वाभाविक आलोक किसी से आहत/मन्द नहीं होता। 2. अपने उपयोग को समता में रखने का प्रयास करें। 3. वर्तमान के ज्ञान को श्रद्धान के साथ रखने से वह वरदान सिद्ध होता है। 4. जो मिला है उसका सदुपयोग करें। इस प्रकार गुरु जी ने दीपक को रत्न दीप की ओर ले जाने के लिए मार्मिक उद्बोधन दिया... जो सभी के लिए कल्याणकारी सिद्ध हो, इसी भावना के साथ गुरूदेव के चरणों में बारम्बार नमोस्तु...
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